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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कोरोना के मामले में ढील देने के लिए कई सवाल उठाए

वायरस के मामलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी में “भयावह से भयावह और दयनीय” स्थिति को लेकर दिल्ली में खींचतान के बीच कोरोनोवायरस रोगियों का इलाज “जानवरों से भी बदतर” किया जा रहा है। दिल्ली के अलावा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में स्थिति “गंभीर” है, अदालत ने कहा, इस मुद्दे पर चार राज्यों और केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया मांगी गई।
कोर्ट ने आज दोपहर कहा, “COVID-19 मरीजों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है। एक मामले में, एक शरीर कचरे में पाया गया था। मरीज मर रहे हैं और यहां उनको देखने के लिए कोई भी उपस्थित नहीं है।” शहर में परीक्षण में गिरावट की व्याख्या करने के लिए अरविन्द केजरीवाल की सरकार से कोर्ट ने कहा है ।

“जहाँ चेन्नई और मुंबई में 16,000 से 17,000 तक परीक्षण बढ़ गए है वही दिल्ली में परिक्षण की संख्या 7,000 से घाट कर 5,000 क्यों हो गए है।” अदालत ने पूछा कि देश में COVID ​​-19 रोगियों के अनुचित संचालन और निकायों के निपटान की रिपोर्टों का संज्ञान लिया गया। कोरोनावायरस परीक्षणों के अनुरोधों को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है, अदालत ने कहा, “प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है ताकि अधिक से अधिक परीक्षण किए जा सकें”।

दिल्ली में महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद भारत में कोरोनोवायरस के तीसरे मामले हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में अब तक 34,687 मरीज और 1,085 मौतें हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दोहराया है कि शहर संक्रमणों की संख्या के बीच महामारी से निपटने के लिए तैयार है, 31 जुलाई तक 5.5 लाख तक बढ़ने की उम्मीद है।

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