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लड़कियों के प्राइवेट पार्ट को ‘हराम की बोटी’ कहकर काटा और सिल दिया जाता है

चार से पांच साल की छोटी बच्चियों को तो ये पता भी नहीं होता की लड़के लड़की का फर्क कैसे किया जाता। उन्हें भी समझ नहीं होती की अच्छा बुरा क्या है। सब चीज़ो के लिए वो अपने माता पिता की सहायता लेती है और सबसे ज़्यादे अपनी माँ पर बच्चियाँ भरोसा करती है लेकिन , एक दिन वही माँ अपनी छोटी सी नाज़ुक बच्ची को एक औरत के हाथ में सौंप देती है जो की ब्लेड लिए हुए उसके शरीर पर प्रहार करने के लिए तैयार है। माँ बेटी को समझती है की थोड़ा दर्द होगा लेकिन यह आंटी तुम्हारी गंदगी हटा कर तुम्हे पवित्र कर देंगी। बिना किसी एनिस्थीसिया के ही उस बच्ची का खतना कर दिया जाता है।

‘द गार्डियन’ की रिपोर्ट के अनुसार सोमालिया की लड़कियों के ख़तने (फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन) के मामले इस लॉकडाउन के दौरान बेतहाशा बढ़ गए हैं। इस खतरनाक प्रथा स बचना बच्चियों के लिए काफी मुश्किल हो गया है।

लोगो का यह मानना है की खतने से लड़की पवित्र हो जाती है और ये जेनिटल हाइजीन का एक अच्छा तरीका है और साथ ही ये औरत को किसी अनचाहे प्रकार के सम्बन्ध न बनाने के लिए भी सहायता करती है।

फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन

मुस्लिम और यहूदी समुदाय में बचपन में ही लड़को के लिंग के आगे की खाल काट दी जाती है। लड़कियों में उनका क्लिटरिस काटा जाता है। संस्कृत में इसे भग्न-शिश्न कहते हैं , यह खाल का एक छोटा सा टुकड़ा होता है जो लड़कियों के वल्वा (वजाइना के लिप्स यानी बाहरी भाग कहते हैं) के ठीक ऊपर होता है।

सोमालिया अफ्रीका महाद्वीप में एक देश है, जहाँ की एक बड़ी जनसंख्या मुस्लिम समुदाय से है। इस देश की 98 फीसद लड़कियों/महिलाओं का खतना किया जा चुका है। UNFPA के एक अनुमान के अनुसार इस साल लगभग तीन लाख सोमालियन लड़कियों का ख़तना किया जाएगा. मामलों में बढ़ोतरी इसलिए भी देखी जा रही है क्योंकि हाल में रमजान का महीना चल रहा था. ये ख़तना करने का पारम्परिक समय माना जाता है.

भारत में एक कम्युनिटी है दाऊदी बोहरा ,यह शिया मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा है। इस समुदाय की बड़ी-बूढ़ी औरतें क्लिटरिस को ‘हराम की बोटी’ कहती हैं और यहां लड़कियों का ख़तना होता है। 2017 में एक अंग्रेजी अखबार ने ऑनलाइन सर्वे किया था। उसके मुताबिक इस कम्युनिटी की 98% औरतों ने माना था कि उनका ख़तना हुआ है और 81% औरतों ने कहा था कि ये बंद होना चाहिए.

मासूमा रनाल्वी नाम की महिला ने ख़तने के खिलाफ एक कैंपेन स्टार्ट किया था और कुछ वक़्त पहले, मासूमा ने प्रधामंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को इसके बारे में एक चिट्ठी भी लिखी थी। वो चाहती थीं कि पीएम मोदी यह प्रथा ख़त्म करवाने में महिलाओं की मदद करें।

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