भारत सरकार ने एक बार फिर चाइनीज एप्स पर स्ट्राइक कर 118 चाइनीज एप्स को इंडिया में बैन कर दिया गया है। इस लिस्ट में दुनिया के मोस्ट पॉपुलर गेम्स में शुमार एक्शन गेम पबजी को भी बैन कर दिया गया है। हालांकि पबजी कोरियन गेम मेकर्स की ओर से डवलप किया गया है, लेकिन गेम के मोबाइल वर्जन को चाइना की टेनसेंट कंपनी ने बनाया है। यही वजह है कि आखिरकार पबजी को लेकर भी डिजिटल स्ट्राइक का सामना करना पड़ा है।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को कुछ मोबाइल ऐप के दुरुपयोग और यूजर्स के डेटा को अनधिकृत तरीके से उन सर्वरों पर प्रसारित करने के लिए कई शिकायतें मिली हैं, जिनके सर्वर भारत से बाहर हैं। हालांकि कुछ यूजर कंफ्यूज हैं कि क्या यह पबजी का अधिकारिक वर्जन है, जिसे इंडिया में बैन किया गया है तो जवाब है कि पबजी के नाम PUBG MOBILE Nordic Map: Livik अधिकारिक वर्जन और PUBG MOBILE LITE को बैन कर दिया है। आइए जानते हैं पबजी यूजर के डेटा को किस तरह से चुराता है।
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अजय डाटा कहते हैं, दरअसल यूजर को मोबाइल एप्स को डाउनलोड करने के बाद इसे ओपन करने की जल्दबाजी रहती है। साथ ही वह किसी भी एप के लंबे चौड़ी प्राइवेसी पॉलिसी को भी पढ़ने में दिलचस्पी नहीं रखता। इसी बात का फायदा ज्यादातर कंपनियां उठाती हैं और यूजर के डेटा को चुराने में कामयाब हो जाती हैं। पबजी के केस में कंपनी कहती है कि वह डेटा को आटोमेटिकली स्टोर कर लेती है।
जिसमें ओपन आईडी, आईपी एड्रेस, डिवाइस इंफॉर्मेशन मसलन एप वर्जन, ओएस वर्जन, बैटरी लेवल आदि का एक्सेस ले लेता है। आसान भाषा में कहें तो आपके मोबाइल की अधिकतर जानकारी पबजी को संचालकों को पता चल जाती है। जाहिर है इसका उपयोग थर्ड पार्टी को भी दिया जा सकता है। पबजी के डेटा को 7 से 30 दिनों के अंदर स्टोर कर लिया जाता है। हालांकि यदि अपने अकाउंट डिलीट करने के विकल्प पर क्लिक नहीं करता तो यह डेटा एक साल तक स्टोर रहता है। पबजी गेम खेलते वक्त फोटोज, आडियो मैसेज आदि को भी एक्सेस कर लेता है।
पबजी की पॉलिसी के मुताबिक यह डेटा केा जरूरत पड़ने पर थर्ड पार्टी को उपलब्ध करवाता है। पबजी बनाने वाले साफ लिखते हैं, हम अपनी सेवाओं को प्रेषित सूचना की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते हैं। इसलिए हम आपकी जानकारी के किसी भी प्रसारण के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं।