दिल की बात
कोरोना मरीजो के मिलने वाली खबरों पर कुछ इंसानों द्वारा ? हंसने वाली इमोजी का रियेक्ट करना बहुत दुख देता है साथ ही उनकी सोच पर तरस आता है कि कैसे कैसे इंसान है दुनिया मे जिन्हें दुसरो की तकलीफों पर मजा आता है , लेकिन उन नादानों को यह भी पता नहीं कि अगला नंबर उसका भी हो सकता है क्योंकि बीमारी जात धर्म मोहल्ला देखकर तो नहीं आता , खबरों के सिलसिले में कई जगह आना जाना होता है कई तरह के लोग मिलते है , कहीं लोग किसी हिन्दू मोहल्ले में कोरोना के निकलने से उस एरिया का मजाक बना रहे होते है तो कहीं मुसलमानों को ही कोरोना की उपाधि दी जा रही होती है , जब तक सामने वाले को मेरा परिचय होता है तब तक देर हो चुकी होती है , कही कुछ लोग ऐसे होते है कि खुद को मेरे सामने शर्मिंदा महसूस करते है तो कही कुछ लोग बेशर्मी की हद पार कर देते है , लगातार इस 2020 में इंसानों पर कई मुसीबते आ रही है कोरोना भौकाल बनकर जिंदगियां छीन रहा है तो दूसरे प्राकृतिक आपदाएं भी पीछे नहीं हट रही अम्फान आता है कहर बनकर तो निसर्ग कहता है मैं क्यों न आऊं मुझे भी तो इंसानों के साथ खेलना है , आंधी तूफान को टक्कर देने के लिए भूकम्प भी पीछे नहीं रहता बीच बीच मे मौका मिलते ही इंसानों के साथ ज़रा ज़रा हिचकोले ले लेता है , अब आग की क्या कहे दिल्ली की आग ठंडी नही हुई है अबतक , टिड्डियों के आतंक से आप सब तो वाकिफ है ही कि किस तरह टिड्डियाँ खेत के खेत चट कर जा रहे है लेकिन फिर भी , फिर भी इंसान है कि मानता नहीं, इंसानों को तो बस अपनी ताकत का जैसे मानो घमंड सा हो गया है अभी कल की ही तो बात है निर्दोष अनबोलते जानवर एक प्यारी सी हथनी को मार दिया वो भी उस वक्त जब उसके गर्भ में उसका बच्चा पल रहा था , बच्चा इंतेज़ार में था कि मैं इस दुनिया मे आऊंगा खेलूंगा खाऊंगा लेकिन उसे क्या पता था कि बाहर इंसांरूपी जो राक्षस बैठे हुए है वो उसे उसकी माँ के गर्भ में ही मार देंगे वो भी बम के द्वारा , भला कोई ऐसा कर भी सकता है क्या , विघ्नहर्ता के रूप को जब इंसान ऐसे मारेगा तो क्या विघ्नहर्ता हम सब की बाधाएं दूर करेंगे ? अब अगर ऐसे में प्रकृति अलग अलग रूपो में इंसानों से बदला ले रही है तो क्या गलत कर रही है , अभी तो पिक्चर चालू हुई है पूरी फिल्म तो अभी बाकी है और अगर हमने खुद को नहीं बदला तो प्रकृति ऐसा बदला लेगी की हम इंसांरूपी जीव का इस दुनिया मे कोई निशान तक नहीं बचेगा, अब तो लगता है कि इसी व्यवहार के साथ पूरी ज़िंदगी बितानी पड़ेगी , शायद ही वो पुराने दिन लौटकर आये जब इंसान इंसान की इज्जत किया करते थे , डंक मारने वाले बिछु को भी डूबने से बचाया करते थे I
धन्यवाद
Syed Sunny
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