भाजपा नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने एक्स पर जानकारी देते हुए बताया कि किसी भी देश के लिए आर्थिक व व्यापारिक हितों को साधने के लिए यह जरुरी होता है कि आयात में कटौती की जाए और निर्यात को बढ़ावा दिया जाए। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है, जिससे भारत के किसानों और कृषि उद्योग के लिए अभूतपूर्व अवसर तैयार हुए हैं।भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत अब हमारे 95% से अधिक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद बिना किसी आयात शुल्क के सीधे ब्रिटेन के बाज़ार में पहुंचेंगे।इसका मतलब है-महाराष्ट्र का अंगूर और प्याज़, पंजाब-हरियाणा का बासमती चावल, केरल के मसाले, गुजरात की मूंगफली और कपास, पूर्वोत्तर की बागवानी उपज, गोवा की फेनी, नासिक की आर्टिसनल वाइन और केरल का टॉडी सभी के निर्यात का रास्ता सुगम व सस्ता हो गया है।
किसानों के लिए इसका मतलब क्या है?
शुल्क हटने से भारतीय उत्पाद वहां सस्ते पड़ेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी और किसानों को अपने अपनी उपज का बेहतर दाम मिलेगा।
नए बाज़ार- पहले जिन उत्पादों पर 4% से 8% तक टैक्स लगता था, जैसे झींगा, टूना, कॉफी, मसाले, अब वे सीधे बिना बाधा के पहुंचेंगे।यूके मशीनरी पर कम टैरिफ से किसान सस्ती एग्री-टेक मशीनें और समाधान खरीद पाएंगे।प्रोसेसिंग यूनिट्स और एक्सपोर्ट से जुड़े क्षेत्रों में रोज़गार बढ़ेगा और ग्रामीण आय में सीधा इज़ाफ़ा होगा।यह समझौता न सिर्फ़ निर्यात बढ़ाएगा बल्कि हमारे किसानों को यूरोप जैसे प्रीमियम बाज़ारों में जर्मनी और नीदरलैंड के बराबर खड़ा करेगा।