आवश्यकता आधारित शिक्षकों का मानदेय राशि निश्चित करने तथा उनकी सेवा 65 वर्षों तक सुनिश्चित करने के संबंध में सरयू ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव को लिखा पत्र 

0

जमशेदपुर : संविदा पर नियुक्त आवश्यकता आधारित शिक्षकों का एक शिष्टमंडल विधायक सरयू राय से मिलकर अपनी मानदेय राशि निश्चित करने, सेवा अवधि 65 वर्ष तक बढ़ाने के बारे में एक स्मारपत्र सौंपा.इस बारे में सरयू ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव से दूरभाष पर वार्ता कर पत्र लिखा है।

सचिव, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग झारखण्ड सरकार, राँची को पत्र में विधायक सरयू ने लिखा

उपर्युक्त विषय के संबंध में झारखण्ड राज्य विश्वविद्यालय संविदा शिक्षक संघ का मुझे संबोधित एक अभ्यावेदन संलग्न है। अभ्यावेदन स्वतः स्पष्ट है। संक्षेप में इस बारे में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए निम्नांकित बिन्दुओं के आलोक में कार्रवाई करना आवश्यक प्रतीत हो रहा है :-

1. संविदा पर नियुक्त आवश्यकता आधारित शिक्षकों के जीवन का महत्वपूर्ण समय गुजर गया है। इस बीच उन्होंने शिक्षण आधारित पर्याप्त अनुभव भी प्राप्त कर लिया है। इनके स्थान पर नियुक्त होनेवाले समान योग्यताधारी नये नियमित शिक्षकों की तुलना में इनके बेहतर शैक्षणिक अनुभव का लाभ विद्यार्थी उठा सकते हैं। अतः आवश्यकता आधारित शिक्षकों की सेवा नियमित करने का निर्णय सरकार को लेना चाहिए।

2.उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार ने अपने पत्रांक 04/ वि. -1-135 / 2016 (अंश) 1040, दिनांक 11.05.2023 के द्वारा एक संकल्प जारी किया है, जिसके अनुसार शिक्षकों को यूजीसी द्वारा निर्धारित बेसिक सैलेरी प्रदान करने का उल्लेख है। परन्तु संकल्प में यह भी अंकित है कि इनकी सेवा अवधि का विस्तार जेपीएससी द्वारा नियमित बहाली अथवा 65 वर्ष की आयु जो पहले हो, तक होगा। मानवीय आधार पर एवं आवश्यकता आधारित शिक्षकों के शैक्षणिक अनुभव को दृष्टिपथ में रखते हुए इनकी सेवा विस्तार 65 वर्ष की आयु तक करने पर सरकार को विचार करना चाहिए। इस आशय का संशोधन प्रासंगिक संकल्प में सरकार करे, यह अनुरोध है।

3.उपर्युक्त संकल्प में सरकार ने इन्हें यूजीसी की बेसिक सैलेरी प्रदान करने का आदेश दिया है। परन्तु निर्धारित कक्षाओं से कम कक्षाओं में इनके द्वारा पढ़ाने पर रू. 900/-प्रति कक्षा की दर से कटौती करने का निर्देश भी संकल्प में है। इस कारण कतिपय विश्वविद्यालयों में आवश्यकता आधारित शिक्षकों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है। इसमें संशोधन करते हुए आवश्यकता आधारित शिक्षकों को निर्धारित संख्या में कक्षायें देने की जिम्मेदारी महाविद्यालय/विश्वविद्यालय के संबंधित अधिकारियों पर डालनी चाहिए ताकि आवश्यकता आधारित शिक्षकों को यूजीसी की पूरी बेसिक सैलेरी मिल सके और इनकी सैलेरी में कटौती की नौबत न आये।

4.महाविद्यालयों/ विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की रिक्तियाँ नियमित बहाली के आधार पर भरी जा रही हैं, परन्तु जिन पदों पर आवश्यकता आधारित शिक्षक पूर्व से नियुक्त है, उनको छोड़कर शेष रिक्तियों को ही नियमित बहाली से भरा जाय।

अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में आवश्यकता आधारित शिक्षकों के हितों को ध्यान में रखते हुए मानवीय आधार पर आवश्यक निर्णय लेना चाहेंगे। सधन्यवाद,

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here