झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था के द्वारा दिनांक- 17.01.2023 को किशोर न्याय बोर्ड के नवचयनित सामाजिक सदस्यों हेतु 15 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र अनिवार्य प्रशिक्षण जैस्मिन नगड़ी (जलछाजन) के प्रशिक्षण संस्थान में सचिव महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार, निदेशक सह सदस्य सचिव, झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था उप सचिव झारखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार एवं अवर सचिव, झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
प्रशिक्षण सत्र में उपस्थित किशोर न्याय बोर्ड के 24 जिलों के सामाजिक सदस्यों को सम्बोधित करते हुये श्रीमती राजेश्वरी बी०, निदेशक सह सदस्य सचिव, झारखण्ड राज्य बाल संरक्षण संस्था के द्वारा बताया गया कि राज्य में पहली बार 15 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र का आयोजन हो रहा है परन्तु इस बार संस्था द्वारा यह प्रयास किया गया कि प्रशिक्षण कार्य 15 दिवसीय प्रशिक्षण सत्र, जो कि दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। झारखण्ड राज्य के सम्प्रेक्षण गृहों में 700-800 विधि-विवादित बच्चे आवासित है, जिनके मामलों से संबंधित प्रक्रिया अधिनियम द्वारा प्रावधानित है, इन बच्चों की कॉन्सिलिंग महत्वपूर्ण है, क्योंकि ऐसे बच्चे को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने में कठिनाई होती है। छोटे अपराधों के मामलों को अधिकतम छ: माह में निपटारा करना प्रावधानित है। इन बच्चों का संस्थानिकरण करने से भी इनके व्यक्तित्व पर दुष्प्रभाव पड़ता है। सम्प्रेक्षण गृहों के बच्चों के भीतर की नकारात्मक सोच को कम करने उनके मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोवैज्ञानिक सहायता हेतु साइको सोशल वर्करों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रशिक्षण सत्र को सम्बोधित करते हुये श्री मनीष मिश्रा, उप सचिव झालसा के द्वारा किशोर न्याय बोर्ड के सामाजिक सदस्यों के कार्य एवं दायित्वों पर प्रकाश डाला गया। जिसके अनुसार किशोर न्याय बोर्ड के सामाजिक सदस्यों को भी कारा गृहों का भ्रमण करना एवं बच्चों से संबंधित मामलों को चिन्हित करते हुये किशोर न्याय बोर्ड को स्थानान्तरित करने संबंधी कार्रवाई भी करनी है।
श्री कृपानन्द झा, सचिव, महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग, झारखण्ड सरकार द्वारा इस संबंध में किशोर न्याय बोर्ड के सामाजिक सदस्यों को सामाजिक दृष्टिकोण अपनाते हुये बच्चों से संबंधित मामलों का निपटारा करने एवं सरकारी तौर-तरीके से कार्य करने से बचने की सलाह दी गयी प्रयास होना चाहिये कि कम से कम लोग जे०जे० सिस्टम में आयें अधिनियम का मूल उद्देश्य बच्चे को जमानत मिलनी चाहिये। जमानत रद्द करने का एक मात्र कारण यह होना चाहिये कि इसका दुष्प्रभाव बच्चे पर पड़ेगा।
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