तस्वीरें हमेशा जिंदा रहती हैं। कहते हैं कि अगर किसी पल को अमर करना हो तो उसे तस्वीरों में कैद कर लो। चूंकि हम लम्हों को कैद नहीं कर सकते। मगर ख्वाहिश होती है कि काश ये किसी किताब के पन्ने की तरह होते, जिन्हें जब चाहा उलट-पलट कर देख लेते। इंसान की इन्हीं इच्छाओं को मूर्त रूप देने के लिए फोटोग्राफी की तकनीक एक वरदान के रूप में सामने आई। इंसान के पास जब इतने हाईटेक कैमरे नहीं थे, तब भी वह तस्वीरें बनाता था। प्राचीन गुफाओं में उसके बनाए भित्ति चित्र इस बात के गवाह हैं। इनके जरिये वह आने वाली पीढ़ियों के लिए कितनी बेश्कीमती सौगात छोड़ गए हैं। बाद में जब कैमरे का आविष्कार हुआ, तो फोटोग्राफी भी इंसान के लिए अपनी रचनात्मकता को प्रदर्शित करने का जरिया बन गया। आज विश्व फोटोग्राफी डे है। इस दिवस को मनाने के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुईस जेक्स और मेंडे डाग्युरे ने सबसे पहले सन 1839 में फोटो तत्व की खोज की थी।
ब्रिटिश वैज्ञानिक विलियम हेनरी फॉक्सटेल बोट ने निगेटिव-पॉजीटिव प्रोसेस का आविष्कार किया और सन 1834 में टेल बॉट ने लाइट सेंसेटिव पेपर की खोज करके खींची गई फोटो को स्थायी रूप में रखने में मदद की।Ranjana pandey