वैज्ञानिकों और शैक्षणिक समुदाय के लोगों ने केंद्र सरकार से स्वास्थ्य कर्मियों को समुचित उपकरण देने की गुजारिश की है। भारतीय वैज्ञानिकों ने समाज से भारत सरकार द्वारा देशव्यप्पी लॉक डाउन का पालन कर कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा फैलने से रोकने में भारत सरकार, राज्य सरकार और विभिन्न एजेंसियों की मदद करने का अनुरोध किया है ।उन्होंने कहा कि हम सरकार और राज्य एजेंसियों से आग्रह करते हैं कि वह राष्ट्र को मौजूदा लॉकडाउन के लिए तैयार करने के लिए कदम उठाएं।उनका ऐसा कहना है की यदि ऐसी स्थिति आती है की लॉक डाउन को न बढ़ाना पड़े तब भी यह कदम आने वाली किसी भी महामारी या अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने में सहयोग देगा ।
उन्होंने संदिग्ध लोगों के अधिक टेस्ट करवाने संदिग्धों का पता लगाने और उन्हें क्वारंटाइन करने की दिशा में कदम उठाए जाने की सिफारिश की है ।वैज्ञानिकों का कहना है कि चिकित्सकों, सहायक स्वास्थ्य सेवाकर्मियों जैसे नर्सो, पुलिसकर्मियों, आपातकाल कर्मियों और महामारी से संबंधित कार्यों में लगे संस्थाओं या फील्ड में मुस्तैद सरकारी कर्मचारियों को उपयुक्त सुरक्षा सामान मुहैया कराए जाने की सिफारिश करते हैं। इसके साथ ही इन स्वास्थ्यकर्मियों का समय-समय पर टेस्ट किए जाने की भी जरूरत है कि कहीं इनमें तो इस महामारी के लक्षण तो नहीं आए है न ।
वैज्ञानिकों ने मानवीय संकट से बचने के लिए दिहाड़ी मजदूरों, बेघरों, शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के निर्धनों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने के लिए सरकार का आभार प्रकट किया । उन्होंने कहा कि हम स्थानीय सरकारी अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि वह विभिन्न प्रांतों , जिलों ,निर्धन वर्ग के फंसे हुए प्रवासी कामगारों के लिए स्थानीय टास्क फोर्स बनाएं जिससे आवश्यक सेवाओं जैसे भोजन, किराने का सामान, दवाइयां और आश्रय की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित हो सके ।
कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए राष्ट्रीय आपदा जोखिम प्रबंधन योजना बनाई जाए और प्रत्येक प्रांत में उसे लागू किया जाए ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है ।उन्होंने कहा कि हम सिफारिश करते हैं कि महामारी को लेकर टेस्ट सुविधाओं को बढ़ाया जाए जिससे देश के हर क्षेत्र में सार्स-कोविड-19 का पता लगाया जा सके। आदर्श स्थिति में देश का कोई भी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र सार्स-कोविड-19 परीक्षण केंद्र से 100 मीटर से अधिक दूरी पर नहीं होना चाहिए । इसके साथ ही जल्द से जल्द सम्मेलन भवनों, खाली होटलों, घिरे हुए स्टेडियमों को आपातकालीन आइसोलेशन वार्ड और अस्थाई चिकित्सा सुविधाओं में बदला जाना चाहिए।
भारतीय वैज्ञानिकों का कहना है कि हम आम जनता से आग्रह करते हैं कि वह इस महामारी से ठीक होने के लिए किसी तरह के चमत्कारी इलाज, धोखेबाजी और मिथकों से प्रभावित नही हो।उन्होंने यह भी कहा कि हम प्रत्येक नागरिक से अनुरोध करते हैं कि दवाइयों जैसे एंटीबायोटिक की जमाखोरी नही करें। इसके साथ ही चिकित्सकीय देखरेख और सिर्फ योग्यता प्राप्त चिकित्सकीय कर्मियों और अधिकृत अस्पतालों का ही रुख करें।वैज्ञानिकों ने कोरोना के मद्देनजर शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों , स्कूल और शिक्षण संस्थाओं से कहा कि जितना संभव हो सकें, वे अपने विद्यार्थियों को ऑनलाइन या किन्हीं अन्य तरीकों से शैक्षिक गतिविधियों में व्यस्त रखें।
बता दें कि कोरोना वायरस से देशभर में अब तक 50 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1,764 लोग इससे संक्रमित हैं।
उन्होंने कहा है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या कम है और देश की शुरुआती नीतियां ही इस महामारी के दुष्प्रभाव को कम करने में कारगर साबित हो सकती है।