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मुस्लिम समुदाय को अफवाहों के वजह से भेदभाव कारना पड़ रहा है सामना

तब्लीगी जमात क्लस्टर मामले के बाद, भारत में कई मुसलमानों को कोरोनवायरस के वैक्टर के रूप में रखा गया है। जिन लोगों ने गलती की उनके अलावा भी कई लोगों को लोग बिना सच्चाई जाने ही दोशी घोषित कर दे रहे है । सबसे ज़्यादे कोरोनावायरस पॉजिटिव मुस्लिम फल विक्रेता की अफवाहे है । व्हाट्सएप फॉरवर्ड, राजनेता और यहां तक ​​कि टेलीविजन समाचार चैनलों ने इस टाइपकास्ट को बनाने में भाग लिया है।

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के दो निर्वाचित स्थानीय नेताओं को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में फल विक्रेताओं के खिलाफ मुस्लिम विरोधी नारे लगाने वाले टेप पर पकड़ा गया था। देवरिया में विधायक सुरेश तिवारी को लोगों से मुसलमानों से सब्जियां न खरीदने के लिए कहते देखा गया। दूसरी तरफ लखनऊ में, विधायक ब्रजभूषण राजपूत को एक मुस्लिम विक्रेता को अपमानित करते हुए फिल्माया गया था।

हालांकि, भेदभाव केवल उत्तर भारत के ग्रामीण इलाकों तक ही सीमित नहीं है। नोएडा और नोएडा एक्सटेंशन में, मुस्लिम फल विक्रेताओं का दावा है कि तालाबंदी शुरू होने के बाद से उन्हें दुश्मनी और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 50 से अधिक हॉटस्पॉट हैं।

आज कल के अपडेटेड टेक्नोलॉजी वाले दुनिया में केवल छन भर में ही कोई भी खबर आग की तरह फ़ैल जाती है। खबर सच्ची है या झूठी इसकी जांच पड़ताल किए बिना ही हम कोई भी मेसेज को फॉरवर्ड कर देते है । हमारे सिर्फ एक क्लिक से किसी निर्दोष की ज़िंदगी बर्बाद हो सकती है। जागरूग नागरिक की तरह अगर हम हर खबर की तेह तक जाएंगे तभी हम दोशियों को सज़ा और निर्दोषो को इंसाफ दिला सकते है।

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