सुप्रीम कोर्टपैतृक ने बेटियों के हक में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि पैतृक संपत्ति में बेटों की ही तरह बेटियों का भी बराबर का अधिकार होता है। कोर्ट ने यह फैसला संशोधित हिंदू उत्तराधिकार एक्ट के तहत सुनाया है। इतना ही नहीं बेटियों के पास हमवारिस होने का भी अधिकार होगा, भले ही उनके पिता का निधन हिंदू उत्तराधिकार कानून संशोधन, 2005 के लागू होने से पहले हुआ हो।
देश के सर्वोच्च न्यायालय के तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को यह अहम फैसला सुनाया है। अपना फैसले में बेंच में शामिल जस्टिस मिश्रा ने कहा कि बेटियों को भी बेटे के बराबर अधिकार होने चाहिए क्योंकि बेटियां पूरी जिंदगी पिता के दिल के करीब होती हैं। पिता जिंदा हो या ना हो, बेटी आजीवन हमवारिस रहेगी।बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 में 2005 में संशोधन किया गया था और इसके बाद बेटियों को भी बेटों के बराबर अधिकार दिए गए थे। हालांकि, इसमें कहा गया था कि बेटियों को यह अधिकार तभी मिलेगा जब उनके पिता 9 सितंबर 2005 तक जिंदा हों, अगर उनका निधन इससे पहले हो गया हो तो बेटियों को संपत्ति में अधिकार नहीं मिलेगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे बदल दिया है और अपने अहम फैसले में उन बोटियों को भी संपत्ति में पूरा अधिकार दे दिया है जिनके पिता की मृत्यु 9 सितंबर 2005 के पहले हो गई थी।
क्या है हमवारिस का मतलब
हमवारिस का मतलब होता है कि उनका अपने से पहले की चार पीढ़ियों की अविभाजीत संपत्ति पर अधिकार होता है। 2005 से पहले तक बेटियों को केवल अविभाजित परिवार की सदस्य मानी जाती थीं उन्हें हमवारिस का हक हासिल नहीं था। वहीं विवाह के बाद तो उसे परिवार का सदस्य नहीं माना जाता है।Ranjana pandey