कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा फैलने से रोकने के लिए प्रधान मंत्री ने देशव्यापी लॉक डाउन लगाया है । इस खतरनाक वायरस से देश को बचाने में कई लोग जुटे है । कई लोगों को खाने की तो कई लोगों को रहने की और कई अलग अलग प्रकार की समस्या झेलनी पड़ रही है । अब तो हाल ये है की समसान घाट पर भी शव जालने के लिए लकड़ियाँ भी कम पड़ रही है क्युकी लाॅकडाउन की वजह से बाहर से लकड़ी नहीं आ रही है।
हेहल निवासी 66 वर्षीय अशाेक सिंह की माैत 2 अप्रैल काे सुबह में हुई थी। दाेपहर में दाह संस्कार के लिए पार्थिव शरीर एंबुलेंस से हरमू मुक्तिधाम लाया गया। मृतक के बेटे, दामाद और परिवार के सिर्फ एक सदस्य ही शवयात्रा में शामिल हुए थे। उनके दामाद ने बताया कि घर पर ही पड़ोसी और आसपास के लोग आए और सभी लोग दूर से ही नमन कर के चले गए।
69 वर्षीय सावित्री सिंह ,हरिहर सिंह राेड निवासी की मृत्यु 2 अप्रैल की रात में हाे गई थी। दाह संस्कार के लिए हरमू मुक्तिधाम पहुंचे मृतक के भाई ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि सुबह में पड़ाेसियाें काे उनकी मृत्यु की सूचना दी गई , लेकिन पड़ोसियों में से कोई भी उनके घर में नहीं पहुंचा ।उनका यह कहना है की हमलाेग भी चाह रहे थे कि अधिक लाेग घर ना आए। फ़ोन पर ही कुछ लोगों ने हाल चाल पूछा और शोक व्यक्त किया । कई लोगों ने उन्हें ये भी कहा की पुलिस भी सव यात्रा पर ज़ादे लोगों को जाने से रोकती है । सबका यही मानना है की जितने कम लोग रहेंगे कोरोना का खतरा उतना ही कम रहेगा । एक एंबुलेंस से शव लेकर मात्र चार लाेग मुक्तिधाम पहुंचे थे।
मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कराने वाले राजा राम का कहना है की लाॅकडाउन की वजह से बाहर से लकड़ी नहीं आ रही है जिस कारण अंतिम संस्कार पर भी संकट आने वाला है और अब 15 दिनाें के लिए ही चिता की लकड़ी बची हुई है।